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लेखनी प्रतियोगिता -08-Oct-2023

#दिनांक:-8/10/2023
#शीर्षक:-पता ही ना चला।

किसी ने कब सिर पर सजा लिया,
पता ही ना चला,
अपनी आँखों का तारा बना लिया,
पता ही ना चला।
दिल की खाई में भावना की जंजीर, बांध लिया पता ही ना चला,
आते-जाते ताड़ते-ताड़ते कब प्यार कर लिया!
पता ही ना चला ।
दस्तक कब जुनून बन गया,
पता ही ना चला।
मेरी बेरुखी को कैसे प्रेम में बदल दिया!!
पता ही ना चला।
खामोश नजरें मेरी कब मिलनसार हो गईं,
पता ही ना चला।
इश्क कब परवान चढ़ने लगा?
पता ही ना चला ।
अब जब मैं भी आतुर हो गई मुहब्बत करने को !
आँखों में आँखें डाल दो-चार बात करने को!
प्रेम-पारावार में तैरने और डुबकियॉ लगाने को,
जीवन जीवंत खूबसूरत,खुशहाल, खुशबूदार बनाने को,
मुझे प्रेम-बारिश में भिगोकर,
फिर क्यों वह मुकर गया ,
पता ही ना चला!!

रचना मौलिक, अप्रकाशित, स्वरचित और सर्वाधिकार सुरक्षित है।

प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई

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5 Comments

Punam verma

09-Oct-2023 08:14 AM

Nice

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Abhinav ji

09-Oct-2023 07:44 AM

Nice

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Mohammed urooj khan

09-Oct-2023 12:13 AM

👌👌👌

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